आज की शहरी ज़िंदगी पूरी तरह से तनाव और अन्य जटिलताओं से ग्रस्त है. ऐसे में हंसने-हंसाने की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा महसूस की जाने लगी है. यही वजह है आपको हंसाने के लिए कॉमेडी सीरीज़ 'पांडेजी ज़रा संभलके' आपके लिए पेश कर दी गयी है. बता दें कि यह सीरीज शहर में रहनेवाले एक शहरी युवक मनोज पांडे नामक किरदार के इर्द-गिर्द घूमती है. पांडेजी का मजेदार रोल मशहूर लेखक, अभिनता और यू ट्यूबर सतीश रे ने निभाया है.
इस सीरीज़ की कहानी मनोज पांडे (सतीश रे) नामक एक ऐसे शख़्स के इर्द-गिर्द घूमती है जो अपनी गर्लफ़्रेंड दिबोशी (डॉली चावला) के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रहता है और उसे बेहद प्यार करता है. उसकी ख़्वाहिश हमेशा से ही दिबोशी से शादी करना चाहता है लेकिन उसकी ज़िंदगी में एक ऐसा मोड़ आता है जब वो ख़ुद को अपनी बचपन की दोस्त इशिता (कनिका खन्ना) की तरफ़ आकर्षित पाता है. इस मोड़ पर नरेश नामक किरदार की एंट्री होती है जो इशिता को चाहने लगता है. ऐसे में पांडेजी का असहज होना स्वाभाविक है. प्यार की यह चौकड़ी अपनी हरकतों से हास्य की अनूठी परिस्थितियों पैदा करती हैं.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले डिजिटल की दुनिया में मशहूर रहे सतीश रे द्वारा निभाए गये ईमानदार शर्मा, अल्फ़ा पांडे और बबन भोला जैसे किरदार काफ़ी लोकप्रिय साबित हुए थे. उनके शो 'ईमानदार इंटरव्यू' के साथ-साथ भोजपुरी और बिहारी लहज़े में उनके बोलने का अंदाज़ भी देशभर के युवाओं को ख़ासा पसंद आया था. अब इस सीरीज़ में सतीश रे का फिर से एक नया और अनूठा अंदाज़ देखने को मिलेगा जो आपको हंसने पर मजबूर कर देगा!
'पांडेजी ज़रा संभलके' में अपने अनोखे किरदार के बारे में सतीश रे कहते हैं, "मुझे इस सीरीज़ की शूटिंग करते हुए बहुत मज़ा आया. मेरे लिए लॉकडाउन में मिली ढील के बाद पहली बार सेट पर मौजूद होने से बड़ी कोई और ख़ुशी नहीं थी. इस सीरीज़ के डायरेक्टर का ताल्लुक मेरे गृह प्रदेश से ही है. ऐसे में सेट पर हम भोजपुरी में ही बातें किया करते थे! इस शो के निर्माता और क्रू के सभी सदस्यों का व्यवहार बेहद दोस्ताना हुआ करता था. पुणे में पहली दफ़ा शूटिंग करने का मेरा अनुभव भी काफ़ी बढ़िया रहा जिसे शब्दों में बयां करना ज़रा मुश्क़िल है."
अभिनेत्री डॉली चावला ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा, "मुझे इस वेब सीरीज़ का कॉन्सेप्ट बेहद पसंद आया था. मुझे इस शो की शूटिंग के दौरान बेहद अलग महसूस हुआ. मुझे उम्मीद है कि दर्शकों को भी कुछ ऐसा ही एहसास होगा. इस सीरीज़ में अपने दो सह-कलाकारों और निर्देशक विनय जी के साथ काम करना का अनुभव भी मेरे लिए बेहद अनूठा रहा."
शो के लेखक निखिल रायबोले और भूपेंद्रकुमार नंदन ने इस सीरीज़ के बारे में कहा, "अगर हिंदी वेब सीरीज़ की बात की जाए तो उसके लिए लिखने का यह हमारा पहला अनुभव है. हमने आज के युवाओं को ध्यान में रखकर यह सीरीज़ लिखी है. लोगों को इस शो में कॉमेडी और रोमांस का एक अलग ही अंदाज़ देखने को मिलेगा. हमें पूरा यकीन है कि युवा ख़ुद को इस शो से जुड़ा हुआ पाएंगे."
'पांडेजी ज़रा संभलके के निर्देशक विनय शांडिल्य कहते हैं कि जैसे ही यह स्क्रिप्ट उनके हाथ लगी, वैसे ही उन्हें इस बात का एहसास हो गया था कि इसे पर्दे पर जीवंत करना बेहद कठिन काम होगा. वे कहते हैं, "इस शो की कहानी एक बेहद अलग जॉनर की कहानी है और इस तरह की कॉमेडी में बहुत सारे इम्प्रोवाइज़ेशन की ग़ुजाइश रहती है. शूटिंग शुरू करने से पहले मैं शो के सभी कलाकारों से मिला और हरेक के किरदार को लेकर गहन विचार-विमर्श और उनके किरदारों की बारीकियों पर काम किया. मुझे पांडेजी के दोस्त के गुटखा चबानेवाले दोस्त को कास्ट लेकर काफ़ी मेहनत करनी पड़ी. इस किरदार के साथ न्याय करनेवाले शख़्स की तलाश बेहद मुश्क़िल साबित हुई. मैं नहीं चाहता था कि यह किरदार फ़िल्म इंडस्ट्री में पाए जानेवाले किसी सामान्य अभिनेता की तरह दिखे और बात करे. शो की पूरी क्रिएटिव टीम की राय थी कि पांडेजी के दोस्त का रोल निभानेवाला शख़्स बनावटी नहीं बल्कि वास्तविक लगना चाहिए. इस बीच मैं अपने दोस्त और अभिनेता प्रकाश जायस से मिला और उन्हें इस किरदार के बारे में बताया. मेरी तरह वो भी इस बात से सहमत थे कि वे इस किरदार में एकदम फ़िट बैठेंगे. शो में हरेक कलाकार ने जी-जान लगाकर काम किया है और सभी ने अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया है.
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